मदन महल का किला जबलपुर | Madan Mahal Fort Jabalpur -

 



Madan Mahal Ka Kila Jabalpur , Madan Mahal Fort
Madan Mahal Fort Jabalpur

मदन महल का किला जबलपुर | Madan Mahal Fort Jabalpur 

मदन महल का किला मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित एक प्राचीन किला है | इस किले का निर्माण 1116 में गोंड राजा मदन सिंह ने करवाया था | राजा मदन सिंह को मदन शाह के नाम से भी जाना जाता है | मदन महल का किला गोंड राजाओं का सबसे महत्वपूर्ण दुर्ग था | राजा मदन शाह के बाद यह किला उनके वंशजों के अधीन रहा | गोंड राजा संग्राम शाह और रानी दुर्गावती प्रमुख ने भी इस किले से अपना राज-पाठ संभाला था |  ऊँचाई पर स्थित होने के कारण किले से  दुश्मनों पर आसानी से नजर रखी जा सकती थी | वर्तमान में इस किले को मदन महल का किला, मदन शाह का किला और रानी दुर्गावती का किले नाम से भी जाना जाता है | मदन महल किला के अन्दर बहुत से कमरे, घोड़ों का अस्तबल और एक तालाब है | कहा जाता है कि किले के अन्दर कई सुरंग हैं | मुसीबत के समय राजा और उनका परिवार इन सुरंगों के माध्यम से किले के बाहर निकल सकते थे | माना जाता है कि इस किले से निकलने वाली एक सुरंग मंडला के किले में खुलती थी | किले का निर्माण ग्रेनाईट की चट्टानों को तरासकर किया गया है | यह किला समय के सांथ धीरे-धीरे जर्जर होता जा रहा है | वर्तमान में किला पुरातत्व विभाग के अधीन है और किले की देख रेख और रखरखाव की जिम्मेदार पुरातत्व विभाग की है | किले के ऊपर से जबलपुर शहर का सुन्दर दृश्य देखा जा सकता है | स्थानीय लोगों क मानना है कि किले के अन्दर आज भी गुप्त स्थान पर खजाना गड़ा हुआ है जिसे खोदने के प्रयास में कुछ लोगों ने किले को नुकसान भी पहुँचाया है | किले के  आस-पास पेड़-पौधे और जंगल होने के कारण इस स्थान पर बंदरों का जमावड़ा भी रहता है  | कभी-कभी बन्दर यहाँ आने वाले पर्यटकों के प्रति आक्रामक भी हो सकते हैं |

Madan Mahal Ka Kila Jabalpur , Madan Mahal fort
Madan Mahal Ka Kila Jabalpur 

मदन महल  किला कैसे पहुंचें | How To Reach Mahal Fort -

मदन महल का किला जबलपुर-नागपुर मार्ग के समीप मदन महल की पहाड़ी पर स्थित है | जबलपुर पहुँचने के पश्चात मदन महल बड़ी आसानी से पहुंचा जा सकता है | जबलपुर पहुँचने के पश्चात बस स्टैंड या रेल्वे स्टेशन से मदन महल तक जाने के लिए टेक्सी या ऑटो आसानी से मिल जाते हैं |

हवाई मार्ग द्वारा –

नजदीकी हवाई अड्डा जबलपुर का डुमना एयरपोर्ट है | जबलपुर से दिल्ली, मुम्बई और देश के महत्वपूर्ण शहरों के लिए नियमित फ्लाईट हैं | जबलपुर के नजदीकी दूसरा हवाई अड्डा नागपुर एयरपोर्ट है |

रेल मार्ग द्वारा – 
रेल मार्ग द्वारा नजदीकी रल्वे स्टेशन मदन रल्वे स्टेशन और जबलपुर जंक्शन है | मदन महल स्टेशन का नाम मदन महल किला के नाम पर ही रखा गया है | मदन महल रेल्वे स्टेशन जबलपुर का सब-स्टेशन है |

सर्वोदय जैन मंदिर अमरकंटक | Sarvoday Jain Mandir Amarkantak -

 

Sarvoday Jain Mandir Amarkantak hindi
Jain Mandir Amarkantak 

सर्वोदय जैन मंदिर अमरकंटक | Sarvoday Jain Mandir Amarkantak -

अमरकंटक पवित्र नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है | नर्मदा नदी को हिन्दू देवी और माँ की तरह पूजते हैं इसी कारण अमरकंटक हिन्दुओं के लिए आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र और पवित्र तीर्थ स्थल है | अमरकंटक हिन्दुओ के सांथ ही जैन धर्मावलम्बियों के लिए भी धार्मिक महत्व रखता है | अमरकंटक में स्थित सर्वोदय जैन मंदिर जैन सम्प्रदाय के लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है | सर्वोदय जैन मंदिर वास्तुकला का सुन्दर नमूना है इसके निर्माण में लाल पत्थरों का उपयोग किया गया है | मंदिर निर्माण में लोहा, ईंट और सीमेंट का प्रयोग नहीं हुआ |





सर्वोदय जैन मंदिर के गर्भ गृह में प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की अष्टधातु से निर्मित प्रतिमा स्थापित है | भगवान आदिनाथ की प्रतिमा का वजन 24 टन है जो अष्ट धातु के कमल सिंहासन पर विराजमान है | कमल सिंहासन का बजन 17 टन है | कमल सिंघासन और भगवान आदिनाथ की प्रतिमा का कुल बजन 41 टन है | मुनिश्री विद्यासागर जी महाराज ने 06 नवम्बर 2006 में इस प्रतिमा को विधि-विधान के सांथ स्थापित किया | मंदिर का निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है जब मंदिर का निर्माण पूरा हो जायेगा तब सर्वोदय जैन मंदिर की चौड़ाई 125 फीट, लम्बाई 490 फीट और ऊँचाई 151 फीट होगी |


मंदिर में पत्थरों पर की गई नक्कासी देखने योग्य है | मंदिर की दीवारों पर तरासी हुई सुन्दर मूर्तियाँ हैं | मंदिर की वास्तुकला बहुत सुन्दर है | अमरकंटक हिन्दुओं और जैन सम्प्रदाय के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है | दोनों ही सम्प्रदाय के लोग माँ नर्मदा के उद्गम स्थल के दर्शन करने के सांथ हे सर्वोदय जैन मंदिर भी अवश्य जाते हैं |



बैलेंसिंग रॉक जबलपुर | Balancing Rock Jabalpur

Balancing Rock Jabalpur , Balance Rock jabalpur
Balancing Rock Jabalpur 

बैलेंसिंग रॉक्स जबलपुर | Balancing Rocks Jabalpur -

पवित्र नर्मदा नदी के तट पर स्थित जबलपुर भारत के मध्य भाग में स्थित है | जबलपुर में घूमने के लिए कई दर्शनीय स्थल हैं | इन्हीं में से एक है बैलेंसिंग रॉक( Balancing Rock) इसे संतुलित शिला भी कहा जाता है | बैलेंसिंग रॉक सही मायने में एक विशाल भूवैज्ञानिक चमत्कार है। यहाँ दो बड़ी चट्टानें एक दूसरे के ऊपर एक छोटे से आधार पर टिकी हुई हैं | इन्हें देखने से ऐसा लगता है मानो थोडा सा भी धक्का लगने पर गिर जायेंगी | इन चट्टानें ने सदियों से इसी तरह संतुलन बनाया हुआ है | 22 मई 1997 में जबलपुर में आये 6.2 तीब्रता के भूकंप से भी इस चट्टान को कोई नुकसान नहीं पहुंचा | ये चट्टानें ग्रेफाईट पत्थरों से बनी हुई हैं |

बैलेंसिंग रॉक (Balancing Rock) के बारे में कहा जाता है कि यह हजारों साल पहले ज्वालामुखी विस्फोट से बना था। पुरातत्वविद और भूवैज्ञानिक यह बताते हुए सटीक कारण देखने में विफल रहते हैं कि ये चट्टानें इतने सालों तक कैसे अडिग रह सकती हैं। हालांकि, वे मानते हैं कि यह उनका वजन और गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण हो सकता है | भूवैज्ञानिकों के लिए एक बेहद खुशी की बात है कि जबलपुर की यात्रा प्रसिद्ध बैलेंसिंग रॉक्स को देखे बिना अधूरी है।

Balancing Rock Jabalpur , Balancing Rocks Jabalpur
Balancing Rock Jabalpur 

बैलेंसिंग रॉक (Balancing Rock) जबलपुर में मेडिकल रोड के पास स्थित है | बैलेंसिंग रॉक की जबलपुर रेल्वे स्टेशन से दूरी करीब 6 किलोमीटर है | अपने साधन से या मेट्रो बस से यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है | बैलेंसिंग रॉक्स के पास में ही मदन महल का किला स्थित है | इस किले का निर्माण गोंड राजा मदन शाह ने करवाया था | यह किला रानी दुर्गावती के शासन का केंद्र था | बैलेंसिंग रॉक्स के पास ही शारदा माता का प्रसिद्ध मंदिर भी है | इस चट्टान को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं | 

जबलपुर के मदन महल पहाड़ी पर स्थित बैलेंसिंग रॉक एशिया के तीन प्रमुख बैलेंसिंग रॉक्स में से एक है | जबलपुर में मदन महल पहाड़ी के बैलेंसिंग रॉक के अलावा नयागांव ठाकुर ताल पहाड़ी के जंगलों और नयागांव बिजली ऑफिस प्रशिक्षण संस्थान के पास भी बैलेंसिंग रॉक्स स्थित हैं जो अभी भी लोगों की नजरों से दूर हैं | जबलपुर के इन छुपे हुए  बैलेंसिंग रॉक्स  (Balancing Rocks) को दुनियां के नजरों में लाने की आवश्यकता है ताकि जबलपुर भी पर्यटन के क्षेत्र में देश में अपनी अलग पहचान बना सके | 
 

श्री यंत्र महामेरु मंदिर अमरकंटक | Shriyantra Temple Amarkantak -

Shri Yantra Mahameru Temple - Amarkantak
ShriYantra Mandir Amarkantak

श्री यंत्र महामेरु मंदिर अमरकंटक | Shriyantra Temple Amarkantak -

अमरकंटक मध्यप्रदेश का बड़ा तीर्थ स्थल है | अमरकंटक पवित्र नर्मदा नदी का उद्गम स्थल होने के कारण हिन्दुओं का पवित्र तीर्थ स्थल है और देश में अपनी अलग पहचान रखता है | अमरकंटक में कई प्राचीन और प्रसिद्ध मन्दिर हैं | अमरकंटक घने जंगलों और ऊँची-ऊँची पहाड़ियों से घिरा बहुत ही सुन्दर स्थान है |  

अमरकंटक में स्थित श्रीयंत्र मंदिर एक बहुत ही सुनदर और अनोखा मंदिर है | श्रीयंत्र महामेरु मंदिर को श्रीयन्त्र के 3D रूप में बनाया गया है | श्रीयंत्र मंदिर के द्वार पर चार देवियों के मुख की आकृति की विशाल मूर्तियाँ है | ये मूर्तियाँ माँ लक्ष्मी, माता सरस्वती, काली माँ और देवी भुवनेश्वरी का प्रतिनिधित्व करती हैं | मंदिर के नीचे की तरफ 64 योगनियों की मूर्तियाँ हैं | मंदिर के प्रवेश द्वार पर कार्तिकेय जी और गणेश जी की मूर्तियाँ भी विराजमान हैं | मंदिर की नक्कासी और सुन्दरता अद्भुत है | श्रीयंत्र मंदिर का परिसर गोलाकार है जिसके मध्य में मुख्य मंदिर है  | मंदिर के केंद्र में माता त्रिपुर सुन्दरी की प्रतिमा है | 

Shriyantra Temple Amarkantak
Shri Yantra Mahameru Temple - Amarkantak 

श्रीयंत्र महामेरु मंदिर का निर्माण विशेष नक्षत्र और मुहूर्त में किया जाता है | एक बार नक्षत्र निकलने के बाद निर्माण कार्य रोक दिया जाता है और फिर अगला नक्षत्र आने पर ही मंदिर निर्माण का कार्य किया जाता है | मंदिर का निर्माण कार्य 1991 से किया जा रहा है | मंदिर निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है | मंदिर की नक्कासी और सुन्दरता अद्भुत है | 

 श्रीयन्त्र मंदिर माँ नर्मदा उद्गम स्थल से 1 किलोमीटर दूर स्थित है| मंदिर सोनमुड़ा मार्ग पर घने जंगलों से घिरा है |  मंदिर का निर्माण महामंडलेश्वर श्री सुकदेवानंद जी महाराज द्वारा कराया जा रहा है | अमरकंटक आने वाले श्रद्धालुओं को श्रीयंत्र महामेरु मंदिर अवश्य जाना चाहिए |

सोनमुड़ा अमरकंटक | Sonmuda Amarkantak -

Sonamuda Amanrkantak , सोनमुड़ा अमरकंटक
सोनमुड़ा अमरकंटक

 सोनमुड़ा अमरकंटक | Sonmuda Amarkantak -

अमरकंटक मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित हिन्दुओं का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है | अमरकंटक में नर्मदा उद्गम कुण्ड से पवित्र नर्मदा नदी  का उद्गम होता है | माँ नर्मदा उद्गम स्थल से करीब 1.5 किलोमीटर दूर सोनमुड़ा नामक स्थान पर सोन नदी का उद्गम स्थल है | सोन नदी के उद्गम स्थल के पास ही भद्र का उद्गम स्थल भी है | थोड़ी ही दूर पर दोनों का संगम कुंड है | यही कारण है की इसे ''सोन- भद्र'' कहा जाता है | सोन को ब्रम्हाजी का मानस पुत्र कहा जाता है | सोन का वर्णन ब्रम्ह पुराण में मिलता है |

कुंड के पास हनुमान जी, दुर्गा माता और बहुत से देवी-देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर है | सोनमुड़ा में आयुर्वेदिक दवाओं की दुकान भी है | कुण्ड से नीचे की तरफ जाने के लिए सीढियां बनी हुई है | यहां सोन-भद्र 300 फीट की पहाड़ी से एक झरने के रूप में नीचे गिरते हैं |

Sonamuda Amanrkantak , सोनमुड़ा अमरकंटक
Sonamuda Amanrkantak 

माना जाता है कि सोन भद्र जलप्रपात से गिरने के पश्चात धरती के अन्दर ही अन्दर 60 किलोमीटर दूर ''सोनबचरबार'' नामक स्थान पर पुनः प्रकट होते हैं और आगे जाकर गंगाजी में विलीन हो जाते हैं |जनश्रुतियों के अनुसार सोन नदी की जल-धारा में आज भी सोने के कण मिलते हैं |

 सोनमुड़ा क्षेत्र में बहुत से लंगूर और बन्दर भी रहते है जिन्हें यहाँ आने वाले श्रद्धालु फूटा  और खाना भी खिलाते हैं | अक्सर ये बन्दर लोगों के पर्स और सामान छीन लेते हैं इसीलिए इन बंदरों से सावधनी बरतना चाहिए | कभी भी इन बंदरों से छीना-झपटी का प्रयास नहीं करना चाहिए नहीं तो ये काट भी सकते हैं |

माई की बगिया अमरकंटक | Mai ki Bagiya Amarkantak -

Mai ki Bagiya  Amarkantak
Mai ki Bagiya Amarkantak

माई की बगिया अमरकंटक | Mai ki Bagiya Amarkantak - 

अमरकंटक एक बहुत ही पवित्र और सुन्दर स्थान है | अमरकंटक से ही पवित्र नर्मदा नदी का उद्गम हुआ है यहाँ माँ नर्मदा के उद्गम स्थान के सांथ-सांथ बहुत से स्थान है जो तीर्थ यात्रियों और सैलानियों के आकर्षण का केंद्र हैं | अमरकंटक में सोन नदी और जोहिला नदी का उद्गम स्थान है | यहाँ माँ नर्मदा कुण्ड के अतिरिक्त माई की बगिया, सोनमुड़ा , कपिलधारा जलप्रपात, दूधधारा जलप्रपात, आश्रम और बहुत से प्रसिद्ध मंदिर भी है |

 अमरकंटक में नर्मदा उद्गम कुंड से 1 किलोमीटर की दूरी पर माई की बगिया नामक स्थान है | माई की बगिया में एक कुण्ड है जिसमें हमेशा ही जल भरा रहता है इस कुण्ड को चरणोदक कुंड के नाम से जानते हैं | कुछ लोगों का मानना है की माँ नर्मदा का वास्तविक उद्गम स्थल यही स्थान है औरमाई की बगिया से निकली जलधारा ही वर्तमान नर्मदा उद्गम कुण्ड से पुनः निकलती है |

 एक अन्य मान्यता के अनुसार माँ नर्मदा बचपन अपनी सहेलियों  के सांथ खेलने के लिए इस स्थान पर आती थीं और यहीं  से अपने लिए पुष्पों को चुनती थीं | आज भी यह स्थान एक बगिया की तरह दिखलाई देता है | माई की बगिया में आम, केले और बहुत से सुन्दर फूलों के पेड़-पौधे लगें है | इस स्थान पर गुलबाकावली के पौधे पाये जाते है | गुलकावली के पौधों से नेत्र रोगों के लिए औषधि बनाई जाती है | जनश्रुति के अनुसार बचपन में गुलबाकावली माँ नर्मदा की सहेली थीं | 

प्राचीन काल में गुलकावली का पौधा सिर्फ माई की बगिया में मिलता था परन्तु अब गुलबाकावली पूरे अमरकंटक क्षेत्र में लगाया जाने लगा है | इस स्थान पर परिक्रमावासियों के रुकने की व्यवस्था की जाती है | चरणोदक कुण्ड के पास ही कुछ छोटे-छोटे मंदिर भी हैं |  मै की बगिया के आस-पास घने पेड़-पौधे होने के कारण बन्दर पाये जाते हैं |

मृगन्नाथ गुफा – बाड़ी जिला- रायसेन | Mrugannath Dham Badi Distt Raisen

 

Mrugannath Dham Badi Distt Raisen
Mrugendranath Gufa 

 मृगन्नाथ गुफा – बाड़ी जिला- रायसेन | Mrugannath Dham Badi Distt Raisen -

रायसेन जिले की बरेली तहसील के बाड़ी कस्बे से करीब 5 किलोमीटर दूरी पर विन्ध्याचल पर्वत श्रंखला में मृगन्नाथ गुफा स्थित है | इस गुफा के बारे में कहा जाता है कि यहाँ नारद ऋषि नेतपस्या की थी |कुछ लोग इसे आदिमानव का निवास स्थान भी मानते हैं | यह गुफा बहुत ही रहस्यमय है कहा जाता है कि इस गुफा का छोर अभी तक किसी को नहीं मिला है | 

2008 में इस गुफा की खोज उज्जैन विक्रम विश्विद्यालय के पुरातत्व विभाग ने की थी | मृगन्नाथ गुफा का प्रवेशद्वार बहुत ही संकरा है और इसमें लेटकर ही जाना पड़ता है | गुफा के अन्दर घना अँधेरा रहता है | बिना टोर्च या कृत्रिम प्रकाश के यहाँ कुछ भी दिखलाई नहीं देता | कुछ दूरी पर नीचे उतरने के बाद गुफा गुफा में खुली जगह मिलती है जो सडक की तरह दिखलाई देती है | इसमें तिराहे , चौराहे और यज्ञस्थल भी दिखलाई देते हैं | गुफा अन्दर इतनी गहरी है की अभी तक इसका अंतिम छोर नहीं मिला है | गुफा के अन्दर भूल-भुलैया है जिससे लोगों के भटकने का डर रहता है | गुफा में जाने के पहले एक रस्सी को गुफा के बाहर कसी स्थान से बांधकर रस्सी के सहारे अन्दर जाते हैं जिससेकोई भटक ना सके | गुफा के पास ही नर्मदा जल धारा और गुप्त गंगा जैसे स्थान भी हैं | 

स्थानीय लोगों को कहना है की वे बचपन से ही इस गुफा के बारे ने देखते सुनते आ रहे हैं परन्तु पहले यहाँ लोग नहीं आते थे लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यहाँ पर्यटक आने लगे हैं | यहाँ आने वाले ज्यादातर लोग अड़वेंचर के शोकीन होते हैं | कुछ शोध करने वाले लोग भी यहाँ आते हैं |

नोट- गुफा के अन्दर घना अँधेरा रहता है और गुफा के अन्दर भूल भुलैया भी है इसीलिए स्थानीय लोगों या किसी जानकार की मदद से उचित प्रकाश के व्यवस्था के सांथ ही गुफा में जाना चाहिए |