छीन्द वाले हनुमान दादा बरेली | Chhind Wale Hanuman Dada Bareli



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Chhind Wale Hanuman Dada

छीन्द वाले दादा बरेली जिला-रायसेन | Chhind Hanuman ji Mandir -

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की बरेली तहसील में तहसील मुख्यालय से करीब 7 किलोमीटर दूर ग्राम- छीन्द में राम भक्त हनुमान जी का सिद्ध स्थान है जिसे लोग छीन्द वाले दादा जी के नाम से जानते हैं | इस स्थान पर एक बड़े वृक्ष के नीचे हनुमान जी का मंदिर है जिसमें हनुमान जी की सिद्ध प्रतिमा बिराजमान है | दूर-दूर से भक्तजन अपनी मन्नत मांगने यहाँ आते हैं और यहाँ आकर उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है | पहले इस स्थान पर छोटा सा मंदिर था परन्तु भक्तों की संख्या बढ़ने के सांथ –सांथ मंदिर का विकास होता गया |

खेत में  मिली थी हनुमान जी की प्रतिमा –

कहा जाता है कि पहले इस स्थान पर खेती होती थी | आज से लभग 200 वर्ष पहले खेती करते समय खेत के मालिक को हनुमान जी की दुर्लभ प्रतिमा मिली | किसान ने यहाँ प्रतिमा स्थापित कर दी और एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया और पूजा पाठ करने लगा | किसान के सांथ-सांथ गाँव के अन्य लोग भी यहाँ आकर पूजा पाठ करने लगे | लोगों की मनचाही मनोकामना पूरी होने लगी और मंदिर के चमत्कारों के कारण इस स्थान की पहचान दूर दूर तक फ़ैल गई और आज इस स्थान पर देश भर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं |
Chhind Wale Hanuman Dada
Chhind wale dada ka mandir 


पांच मंगलवार हाजिरी लगाने से होती है हर मनोकामना पूर्ण –

कहते है कि छीन्द वाले दादा जी के दरवार में सच्चे मन से लगातार पांच मंगलवार हाजिरी देने से भक्तों की मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है | लोगों की मन्नते पूरी होने पर भक्त यथाशक्ति प्रसाद का वितरण करवाते है कुछ लोग भण्डारे करवाते हैं | यहाँ हनुमान दादा को चोला और झन्डा भी चढ़ाया जाता है | हनुमान दादा के छीन्द दरवार में बड़े से बड़ा और छोटे से छोटा व्यक्ति माथा टेकने आता है और यहाँ आकर सभी समान हो जाते हैं |

छीन्द  हनुमान दादा मंदिर परिसर –

छीन्द में हनुमान जी का मंदिर एक बड़े पीपल के पेड़ के नीचे स्थित है | मंदिर के गर्भ गृह में छीन्द वाले दादा जी की चमत्कारी प्रतिमा विराजमान है | हनुमान दादा के सामने राम दरवार है जिसमें भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण जी विराजमान हैं | मंदिर परिसर में अन्य छोटे-छोटे मंदिर भी हैं | मंदिर के पास ही भंडारा कक्ष भी है यहाँ भक्तजन भंडारा करवा सकते हैं | पास में एक धर्मशाला भी है |

छीन्द दादा जी के मंदिर  मंगलवार शनिवार भक्तों की रहती है भीड़ –

वैसे तो साल भर छीन्द वाले हनुमान दादा के मंदिर में भक्तों की भीड़ रहती है फिर भी हर मंगलवार और शनिवार को दूर-दूर से भक्तजन यहाँ आते हैं | छीन्द में हनुमान जयंती , रामनवमी, शिवरात्रि और विशेष त्योहारों पर विशेष भीड़ रहती है |

छीन्द हनुमानजी मंदिर  कैसे पहुंचें | How to Reach Chhind Hanuman Temple -

छीन्द पहुँचने के लिए पहले बरेली जाना होता है | बरेली रायसेन जिले की तहसील है जो भोपाल जबलपुर मार्ग पर स्थित है | बरेली से छीन्द 6 किलोमीटर दूर है | बरेली से नजदीकी रेल्वे स्टेशन पिपरिया है जबकि बड़ा स्टेशन भोपाल है | नजदीकी एयरपोर्ट भी भोपाल है |
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श्री पाटबाबा हनुमान मंदिर जबलपुर | Shri Paat Baba Hanuman Temple Jabalpur -

Shri Pat Baba Mandir Jabalpur
Shri Pat Baba Mandir Jabalpur

श्री पाटबाबा हनुमान मंदिर जबलपुर | Shri Paat Baba Mandir Jabalpur -


मध्य प्रदेश के जबलपुर में गन केरेज फैक्ट्री (GCF Factory) के पास हरियाली से घिरी पहाड़ी पर हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर है | लोग हनुमान जी एक इस मंदिर को पाटबाबा के नाम से जानते हैं | मंदिर में स्थित हनुमान जी की प्रतिमा बहुत ही सिद्ध है और यहाँ मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है |

पाटबाबा मंदिर का इतिहास | History Of Paat Baba Temple -


अंग्रेजी शासन काल में अंग्रेजों द्वारा जबलपुर के खमरिया क्षेत्र में गन केरेज फैक्ट्री बनाई जा रही थी | यहाँ फैक्ट्री की दीवार का कार्य चल रहा था जैसे ही कुछ निर्माण कार्य होता दीवार किसी न किसी कारण से गिर जाती थी और लाख प्रयत्न करने के बाद भी कोई निर्माण कार्य नहीं किया जा सका | फैक्ट्री निर्माण कार्य की जिम्मेदार अंग्रेज लेफ्टिनेंट कर्नल स्टेनली स्मिथ को दी गई थी | जब इसकी जानकारी स्टेनली स्मिथ को लगी तो पहले तो उसने कारीगरों को निर्माण पूरा करने के बदले ईनाम देने की घोषणा की परन्तु इससे भी काम नहीं बना तो उसने कार्य पूरा न कर पाने के कारण कारीगरों और स्टाफ को दंड भी दिया फिर भी दीवार और अन्य निर्माण कार्य नहीं हो सके | एक दिन स्टेनली स्मिथ इसी बात को लेकर काफी परेसान था और घर जा कर सो गया तभी पाटबाबा ने उसके सपने में दर्शन दिए और कहा की जिस स्थान पर दीवार बनाई जा रही है वह उनका स्थान है और वे कभी भी दीवार के अन्दर बंध कर नहीं रहेंगे इसीलिए खुले स्थान पर उनकी स्थापना की जाये | सुबह जब स्टेनली स्मिथ जगा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा | उसने तत्काल कार्य रुकवाया और एक पहाड़ी के खुले स्थान पर हनुमान जी की स्थापना की गई | पाट बाबा की प्रतिमा को लाल रंग के कपडे से लपेटकर पुरे विधि-विधान से नये स्थान पर लाया गया और 1903 में पाट-बाबा मंदिर का निर्माण किया गया | कहते है इसके बाद फैक्ट्री निर्माण में कोई बाधा नहीं आई | फेक्ट्री बनने के बाद फैक्ट्री का कोई भी बड़ा अधिकारी यहाँ आता है तो सबसे पहले पाट बाबा के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेता है और इसके बाद ही पदभार ग्रहण करता है |

पाठबाबा मंदिर परिसर –


पाठबाबा मंदिर एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है | मंदिर परिसर बहुत ही साफ़ और स्वच्छ रहता है | इसके आस-पास का वातावरण बहुत सुन्दर और मनमोहक है | स्वच्छ मंदिर परिसर के बाहर पार्किंग स्थल और पूजन सामग्री की दुकाने हैं | मंदिर परिसर के अन्दर पाठबाबा के मुख्य मंदिर के एक तरफ माता दुर्गा का मंदिर और दूसरी ओर भगवान शिव का मंदिर है | पाठबाबा महाराज के मंदिर के गर्भगृह में भगवान हनुमान जी के रूप पाठबाबा महाराज की सिद्ध प्रतिमा स्थापित है | मुख्य मंदिर में पाठबाबा के सांथ ही भगवान विष्णु , राम लक्ष्मण और सीता जी भी बिराजमान हैं |

पाठबाबा मंदिर परिसर में एक विशाल बरगद का वृक्ष है , इस वृक्ष के नीचे हनुमान जी का छोटा सा मंदिर है | मन्नत मांगने वाले भक्त इसी पेड़ पर मनोकामना का धागा बांधते हैं और मनोकामना पूरी होने पर इसे खोल देते हैं | मुख्य मंदिर के सामने यज्ञ शाला है इसी के पास एक बड़ा हाल है इस हाल में भक्तजन भण्डारा करवा सकतें हैं |

पाट बाबा मंदिर परिसर में एक उद्यान भी है जिसमें अलग-अलग प्रजाती के पेड़-पौधे और पुष्प लगे हुए हैं | उद्यान में बच्चों के खेलने के लिए झूले और स्लाइडर की व्यवस्था भी है | मंदिर परिसर चारो तरफ से हरे भरे पेड़ पौधों से घिरा है | परिसर के आस-पास मोर और बन्दर रहते हैं जो अक्सर परिसर के अन्दर भी आ जाते है |

पाठबाबा मंदिर में मंगलवार, शनिवार और विशेष त्योहारों पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है | पाठबाबा महाराज के दरवार में आने वाले सभी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होतीं हैं | मनोकामनायें पूर्ण होने पर भक्त पूजा-कथा और भण्डारे करवातें हैं | मन्दिर और मंदिर परिसर की देख रेख GCF प्रबंधन करता है |


पाठबाबा मंदिर कैसे पहुंचें | How To Reach Paat Baba Temple -

पाठबाबा मंदिर जबलपुर में गन केरेग फेक्ट्री पास स्थित है और जबलपुर रेल्वे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर दूर है | जबलपुर सड़क और रेल्वे और हवाई मार्ग से भारत के सभी शहरों से जुड़ा हुआ है |














चिंतामण गणेश मंदिर उज्जैन | Chintaman Ganesh Mandir Ujjain

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Chintaman Ganesh Mandir Ujjain

 चिंतामण  गणेश मंदिर  उज्जैन | Chintaman Ganesh Mandir  Ujjain -

भगवान महाकाल की  नगरी उज्जैन में महाकाल मंदिर के सांथ-सांथ बहुत से सिद्ध मंदिर और स्थान हैं | इनमें  चिंतामण गणेश , कालभैरव मंदिर , गढ़कलिका मंदिर , 84 महादेव , चार धाम मंदिर, जंतर -मंतर, मंगलनाथ और श्री कृष्ण की शिक्षा-स्थली प्रमुख हैं |   चिंतामण गणेश जी का मंदिर उज्जैन में भगवान महाकाल के मंदिर से 6 किलोमीटर दूर स्थित सिद्ध मंदिर है | यह मन्दिर उज्जैन से लगे हुए जवास्या गाँव में स्थित है | कहा जाता है कि चिंतामण गणेश जी के दर्शन से भक्तों की सभी चिंतायें और कष्ट दूर होते हैं | मान्यता है की इस चिंतामण गणेश माता सीता द्वारा स्थापित षट विनायकों में से एक हैं | मंदिर का निर्माण 9 वीं से 13 वीं सदी के बीच हुआ माना जाता है | मंदिर का जीर्णोद्धार रानी अहिल्याबाई होल्कर के समय हुआ है |

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Chintaman Ganesh Ujjain

चिंतामण गणेश मंदिर में भगवान गणेश जी की स्वयम्भू प्रतिमा स्थापित है | चिंतामण गणेश मंदिर के गर्भगृह में गणेश जी तीन रूपों पहला-चिंतामण , दूसरा- इच्छामन और तीसरा- सिद्धिविनायक के रूप में विराजमान है | पहला रूप चिंतामण भक्तों की चिंताओं को हरने वाला , दूसरा रूप इच्छामन भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने वाला और तीसरा रूप सिद्धिविनायक भक्तों को सिद्धि प्रदान करता है |

कहा जाता है कि जब भगवान राम अपने वनवास के दौरान यहाँ आये थे उसी समय माता सीता को बहुत जोर की प्यास लगी | भगवान राम ने लक्ष्मण जी को पानी लाने के लिए कहा | लक्ष्मण ने रामजी की आज्ञा की अवहेलना करते हुए पानी लाने से माना कर दिया | भगवान राम समझ गए कि यह दोष लक्ष्मण का नही है अपितु यहाँ की दोष युक्त धरती का है | उन्होंने यहाँ माता सीता और लक्ष्मण के सांथ विधि-विधान से गणेश जी का पूजन किया जिससे धरती दोष मुक्त हो गई | इसके पश्चात लक्ष्मण जी ने धरती में एक तीर मारा जिससे पानी कि धारा निकल आई और माता सीता ने अपनी प्यास बुझाई |

लक्ष्मण बावड़ी | Lakshman Bavdi- 

जिस स्थान पर लक्ष्मण जी ने तीर चलाकर पानी निकाला था उस स्थान पर अब एक बावड़ी है जिसमें अभी भी पानी भरा रहता है | यह स्थान चिंतामण गणेश मंदिर के सामने स्थित है |

चिंतामण गणेश मंदिर में लोग अपनी मन्नत मांगने के लिए उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं और मनोकामना पूरी होने पर  भक्त पुनः मंदिर आते हैं और  मंदिर के पीछे  स्वस्तिक को सीधा बनाते हैं  | कुछ लोग मन्नत मांगने के लिए यहाँ
 मन्नत का धागा भी बांधते हैं और मन्नत पूरी होने पर धागा खोलने के लिए आते हैं | मालवा क्षेत्र के अधिकांश लोग शादी के लग्न लिखवाने यहाँ आते है और किसी भी शुभ कार्य का प्रथम निमंत्रण भी भगवान गणेश के चिंतामण मंदिर में ही दिया जाता है | 

Laxman Bavdi Chintaman Ganesh Mandir Ujjain
Laxman Bavdi Ujjain

प्रत्येक बुधवार और त्योहारों पर यहाँ भक्तों की अपार भीड़ रहती है | चिंतामण गणेश मंदिर में चेत्र मास  में प्रत्येक बुधवार को जन्ना  महापर्व मनाया जाता है | पहले यह त्यौहार किसान मनाया करते थे परन्तु अब सभी वर्गों द्वारा यह त्यौहार मनाया जाता है जन्ना महोत्सव पर मंदिर को सजाया जाता है और भक्तगण यहाँ प्रसाद चढ़ाते हैं  | इसी प्रकार गणेश चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी तक गणेश उत्सव  धूम धाम से मनाया जाता है |  मकर संक्रांति के समय  होने वाले  तिल महोत्सव का विशेष महत्व है , तिल  महोत्सव में यहाँ  सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया जाता है | रक्षा बंधन में लोग भगवान गणेश को राखी भेंट करने आते हैं |

चिंतामण गणेश मंदिर में होने वाली आरती और समस-समय पर होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी  वेबसाइट www.chintamanganesh.com पर उपलब्ध है | 

चिंतामण गणेश मंदिर कैसे पहुंचे -

मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर पहुँच कर आसानी से चिंताम,अन गणेश मंदिर पहुंचा जा सकता है | उज्जैन सडक मार्ग और रेल लाइन से देश के सभी महत्त्वपूर्ण शहरों से जुड़ा है | उज्जैन के समीप सबसे नजदीकी एयरपोर्ट  इंदौर है जो उज्जैनसे करीब ६० किलोमीटर दूर है |